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सुर्खियों में हमें मत डालो, सुर्खियों से डर लगता है
बस रेत में बारिश के बूंदों की तरह हमको पिघल जाने दो|
कोलाहल के बीच धँसा जो अमन है,
एक टुकड़ा छोटा सा उसका हमें दे दो|
घने अंधेरे के चादर में चमकता जैसे जुगनू है,
उसके चमक का एक हिस्सा तो थोड़ा हमें दे दो|
कोई कुछ भी करे, कोई कुछ भी कहें,
जाए भाड़ में दुनिया,
भाड़ में जाए दुनिया वालें,
अब तक ये सिर्फ तेरी विचार धारा थी|
अब कभी हमसे भी टकरा के देखना
हमें अब तेरी क्या, किसी और की भी परवाह नहीं|
एक बेअसर शून्य बना रहू,
ये हमें मंज़ूर नहीं|
ऐसे तेज़ निकल जाना है,
कभी तुम हमें देखो,
तो आँखें मसलते रहना,
क्यूंकी तुम्हें भी हम पर विश्वास नहीं|